राॅयल्स ऐजुकेशनल सोसायटी
विश्व के तेजी से बदलते परिदृश्य में भारत चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है। इस बदलाव का प्रमुख कारण भारत के युवाओं में व्यावसायिक शिक्षा के प्रति बढ़ता रुझान है। भारतीय युवाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा आई.टी., मैनेजमेंट, और शिक्षा से जुड़ा है। अपनी असीमित संभावनाओं के कारण, ये क्षेत्र आने वाले वर्षों में भी युवाओं के आकर्षण का केंद्र बने रहेंगे। उदयपुर जिले के विद्यार्थियों को इन क्षेत्रों में विशिष्ट प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए “राॅयल्स ऐजुकेशनल सोसायटी” ने महाविद्यालय स्थापित किए हैं, जिनमें “महाराजा कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड एजुकेशन” शामिल है, जो सोसायटी द्वारा 2004 में अधिनियम 1860 के अंतर्गत पंजीकृत है।
महाराजा कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड एजुकेशन
यह महाविद्यालय “राॅयल्स एजुकेशनल सोसायटी” द्वारा शिक्षक प्रशिक्षण हेतु स्थापित किया गया है। यह कॉलेज हिंदुस्तान जिंक, सकरोदा रोड, माल की टुस, उदयपुर पर राणाप्रताप नगर रेलवे स्टेशन से 22 किमी दूरी पर स्थित है। महाविद्यालय का नवनिर्मित भवन सुरम्य एवं शांति वातावरण में स्थित है। इसकी स्थापना 4 जुलाई 2005 को हुई। तब से लेकर आज तक, महाविद्यालय ने अपने शैक्षिक दायित्वों को सफलतापूर्वक पूरा किया है। भविष्य में भी यह सभी कार्य आपके सहयोग और सद्भावना से पूर्ण होते रहेंगे। महाविद्यालय भवन सभी आवश्यक एवं आधुनिक शैक्षिक सुविधाओं से युक्त है, जिसमें आधुनिक दृश्य-श्रव्य साधनों से युक्त व्याख्यान कक्ष, कक्षाएं, सुविकसित कंप्यूटर प्रयोगशाला, सभी आवश्यक उपकरणों से युक्त विज्ञान प्रयोगशाला, पुस्तकालय, और कॉमन रूम आदि उपलब्ध हैं।
महाविद्यालय भविष्य में अपनी योजनाओं के तहत और भी अत्याधुनिक सुविधाएँ विद्यार्थियों को उपलब्ध कराने के लिए कटिबद्ध है।
हमारा उद्देश्य
- उदयपुर जिले में शिक्षा के क्षेत्र में शोध एवं नवाचारों के माध्यम से महत्वपूर्ण योगदान देना।
- प्रतिष्ठित शिक्षाविदों के ज्ञान से भावी शिक्षकों को परिचित कराना।
- हमारे योग्य प्राध्यापकों एवं आमंत्रित विषय विशेषज्ञों द्वारा आधुनिक शिक्षण तकनीकी एवं उच्च स्तरीय अध्यापकीय शिक्षा प्रदान करना।
- अनुसंधान, व्यक्तित्व विकास और प्रशिक्षण के अवसर हेतु आधुनिक संसाधन उपलब्ध करवाना।
- सह-अस्तित्व, आत्म-गौरव, आत्म-विकास, सृजनात्मकता, और उत्तम नागरिकता को विकसित करने के अवसर उपलब्ध कराना।
- विद्यार्थियों में आत्मविश्वास, नैतिकता, स्व-अनुशासन एवं नेतृत्व के गुणों को विकसित करना।
- शिक्षा मनोविज्ञान के माध्यम से भावी शिक्षकों में मनोवैज्ञानिक गुणों को स्थापित करना।
- महाविद्यालय द्वारा विद्यार्थियों की सुविधा के लिए बी.एड. के अतिरिक्त शिक्षा के अन्य आयामों को विकसित करना।